सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है, विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। यह सभ्यता सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के किनारे विकसित हुई थी। इस सभ्यता के प्रमुख स्थल भारत, पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान में पाए गए हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम




सिंधु घाटी सभ्यता का कालक्रम तीन भागों में बांटा जा सकता है:
पूर्व हड़प्पा काल (3300-2600 ईसा पूर्व) : इस काल में सभ्यता के प्रारंभिक लक्षण दिखाई देते हैं। इस काल के प्रमुख स्थल बलूचिस्तान में मेहरगढ़, राजस्थान में धौलावीरा और गुजरात में राखीगढ़ी हैं।
परिपक्व हड़प्पा काल (2600-1900 ईसा पूर्व) : इस काल में सभ्यता अपनी पूर्णता को प्राप्त करती है। इस काल के प्रमुख स्थल हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगा और धोलावीरा हैं।
उत्तर हड़प्पा काल (1900-1300 ईसा पूर्व) : इस काल में सभ्यता में ह्रास आने लगता है। इस काल के प्रमुख स्थल गुजरात में धोलावीरा और राजस्थान में गणवारीवाला हैं।
सिंधु घाटी सभ्यता की विशेषताएं
सिंधु घाटी सभ्यता एक विकसित सभ्यता थी। इस सभ्यता की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
नगरीकरण:
सिंधु घाटी सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता के प्रमुख नगरों में हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, लोथल, कालीबंगा और धोलावीरा शामिल हैं। ये नगर अच्छी तरह से योजनाबद्ध थे। इनमें सड़कें, नालियां, स्नानागार और सार्वजनिक भवन आदि थे।
कृषि:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कृषि के क्षेत्र में काफी उन्नत थे। वे गेहूं, जौ, चावल, तिल, मक्का, मूंगफली आदि फसलों की खेती करते थे।
पशुपालन:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग पशुपालन में भी कुशल थे। वे गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सूअर, ऊंट आदि पालते थे।
बर्तन बनाना:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग बर्तन बनाना में भी निपुण थे। वे मिट्टी, पत्थर और धातु से बर्तन बनाते थे।
धातुकर्म:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग धातुकर्म में भी कुशल थे। वे तांबा, चांदी, सोना और सीसा आदि धातुओं का उपयोग करते थे।
वाणिज्य:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग वाणिज्य में भी सक्रिय थे। वे अन्य सभ्यताओं के साथ व्यापार करते थे।
कला:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कला में भी रुचि रखते थे। वे मूर्तिकला, चित्रकला और शिल्पकला में निपुण थे।
सिंधु घाटी सभ्यता का महत्व
सिंधु घाटी सभ्यता का भारत के इतिहास में बहुत महत्व है। इस सभ्यता ने भारत की संस्कृति और सभ्यता को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस सभ्यता से हमें भारत के प्राचीन इतिहास और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होती है।
सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के कारण
सिंधु घाटी सभ्यता के अंत के कारणों के बारे में विद्वानों में मतभेद हैं। कुछ विद्वानों का मानना है कि इस सभ्यता का अंत प्राकृतिक आपदाओं, जैसे बाढ़, सूखा या भूकंप के कारण हुआ। अन्य विद्वानों का मानना है कि इस सभ्यता का अंत आंतरिक संघर्षों या बाहरी आक्रमणों के कारण हुआ।
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